यह जानकर अत्यंत प्रसन्नता हुए कि भारतीय प्रधानमंत्री के शपथग्रहन समारोह की पूर्व संध्या पर जंहा पाकिस्तान की सरकार ने १५० भारतीय मछुवारे अपनी जेल से रिहा किया वंही श्री लंका ने सभी भारतीय मछुवारों को जो उनके जेलों में बंद है को रिहा करने का आदेश दिया वंही कुछ सवाल भी उठ खड़े होते है जिसके समाधान के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ता राधे श्याम तरु ने सार्क के महासचिव के माधयम से सभी सार्क के सदस्य देशो को खुला पत्र लिखा है और मांग कि है कि सार्क के तत्वधान में मछुवारों कि पूर्ण सुनवाई के लिए न्यायलय कि स्थापना कि जाय. राधे श्याम तरु का सार्क के देशो से सवाल है कि क्या मछुवारे जो अपनी रोज़ी रोटी के लिए मछली मारने समुन्द्र में जाते है क्या उनके जीवन का कोई मूल्य ही नही है ? क्या वे सफ़ेद हाथी है जिन्हे किसी को भेंट किया जाय या किट पतंगे है जिनको जस्ट और amicable जस्टिस न दिया जाय यह सार्क के सदस्य देश के लिए काला धब्बा है और इससे सार्क की प्रासंगिकता भी घटती है , अतः इसके समाधान के लिए सार्क को अग्रणी भूमिका नभानी चाहिए
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