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पूरी जहाँ भगवान जगत नाथ अर्थात कृष्ण बढे भैया बलराम और अनुजा सुभद्रा के साथ विराजमान है. बारह्वी शताब्दी में यंहा ओड़िया शैली में बना अनूठा मंदिर, स्थापत्य कला का अनुपम उदारहण है. आदि गुरु शंकराचार्य ने ९वॆ शताब्दी में भारत को एक सूत्र में पिरोने के लिए चार धामो की स्थापना की जिसमे से एक पूरी है.
देवी सुभद्रा प्रेम करने वाले सभी लोगो की प्रेरणास्रोत हैं इन्होने अर्जुन से प्रेम किया था और अर्जुन ने इन्हे पाने के लिए इनका अपहरण (सबकी सहमति थी) किया जिसके फलस्वरूप युद्धा करना पढ़ा और बाद में कृष्ण के समझोता से परिणयसूत्र में बध गए.
यह उन कट्टरपंथी हिन्दुओ के लिए एक पाठ है जो प्रेम विवाह को अनुचित मानते है . सच्चा प्रेम चाहे वह इस्वर से हो चाहे मानव से जन्म जन्मान्तर तक निभाने के संकल्प के साथ अतिउत्तम ही होता है
जिन हिन्दू भक्तो को अनुचित लगा हो भगवन उन्हें सद्बुद्धि दे!!!!!!!!!!!
जय जगन्ननाथ जय भैया बलराम जय जय बहन सुभद्रा जय जय
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