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वी एस नायपाल की पुस्तक इंडिया: ए वूंडेड सिविलाइजेशन कथेतर साहित्य है और यात्रा वृतांत पर आधारित पुस्तक मानी जाती है परन्तु पुस्तक में अधिकांश विवेचना कथासाहित्य की हि की गयी है. भारत क्या है यह वास्तविक अनुभवों से ज्यादा इस पर आधारित है की अमुक (वह भी अंग्रेजी लेखक या जिस रचना का अंग्रेजी में अनुवाद हो गया हो ) उपन्यासकार किस प्रकार की रचना किया अर्थात यह पुस्तक इस बात को १०० प्रतिशत मानकर चलती है की साहित्य समाज का दर्पण होता है . अब मुझे इस बात पर ज्यादा बात करने की जरुरत नही महसूस होती कि मैं यह कंहूँ कि नायपाल की विवेचना एकांगी और भारतीय हिन्दू की संतान होने के नाते अपने लोगो के विनाश (पुस्तक राष्ट्रीय आपात के समय में लिखी गयी ) ,विनाश के कारणों और प्रेणास्रोत पर तीक्ष्ण छोभपूर्ण प्रहार है . नायपाल भारत का आदर्श नारायण के उपन्यास मर. संपत और जगन में खोजते है .अधिकांश स्याही इन्होने नारायण, तेंदुलकर,और यू आर अनंत मूर्ति की कथेतर साहित्य के विश्लेषण में खर्च किया है. इन परिस्थितियों में यह पुस्तक एक साथ मनोरंजक और मेरे सत्य के प्रयोग और उसमे बिनोवा की नायपाल की अपनी विवेचना के साथ कथाकारिता की अनुपमता के साथ सत्य जान पड़ती है.
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