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सावन का अँधा हो गया हूँ मैं- कहेहु ते कछु दुःख घटि होइ

तरुवर फल नहि खात है ......राधे श्याम तरु
तरुवर फल नहि खात है ......राधे श्याम तरु
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टीवी कक्ष में जैसे ही दाखिल हुआ तो पता चला की सभी लोग एक चलचित्र देख रहे है . मैंने उत्सुकता बस पूछा, क्या आईपीएल का संकेत (signal) नही मिल रहा है, तो उपस्थित सभी लोगो का चेहरा ऐसा बन गया जैसे ये सभी- अभी अभी नेपाल से लौटे हों और उनके मन मस्तिस्क में मौत का तांडव अभी भी नृत्य कर रहा हो जैसा कि मुझे समाचारों के माध्यम से देख कर हो रहा है और उसे से मुक्ति पाने के लिए टीवी कक्ष में दाखिल हुआ था परन्तु यंहा तो मुझसे भी ज्यादा लोग परेशान थे पता चला की उनकी चहेती टीम १०० रनों से भी कम पर पूरी तरह से आउट हो कर मैदान से बहार चली गयी थी. मैंने आग्रह के स्वर में निवेदन किया कि भाई मुझे तो मैच देखना है दिखाओ, परन्तु सबो ने मिलकर प्रतिवाद किया भाग्यवसात एक मत जो अभी अभी मतदाता रूम में दाखिल हुआ था उसका मुझे मिला क्युकी उसे टीवी देखनी ही नही थी .
थोङी देर बाद फिर चैनल को परिवर्तित कर दिया गया. मैं पुनः आग्रह किया परन्तु उसका कोई असर न होता देखकर, जो एक शिक्षक का सबसे बढ़ा अस्त्र क्लास रूम में होता है जिसे ब्रहाम्रास्ट अंतिमास्त्र और बहुत ही विरल से विरलतम केस में प्रयोग कारने को कहा जाता है या यह कहना सही है की इसका प्रयोग करने के लिए साफ़ मनाही है परन्तु शिक्षक करता है, वही यंहा मैंने भी किया क्युकी यह कोई क्लास रूम तो था नही न ही मेरे अपने छात्र यंहा थे , सो मैंने किया – मैच दिखाओगे या रूम से बहार चला जाऊं- और यह ब्रहाम्रास्ट यंहा भी काम आ गया क्युकी देखने वाले जयादातर नवयुवक ही थे.और टीवी रिमोट को मुझे सुपूर्त कर दिया गया .
दर्शक हालाँकि फिर तो डटे रहे . और एक दूसरे पर कभी शव्द वेधी बाण तो कभी मल्ल्युद्ध करते रहे. बिपक्षी टीम के प्रथम बल्लेबाज़ के तमाम छक्के और दूसरे बल्लेबाज़ की तकनिकी पूर्ण शानदार प्रदर्शन इनके चेहरे पर वैसे ही कोई रौनक नही ले आ पायी जैसे भूकम्प आने के बाद राहतकार्य और सामग्री भूकम्प पीड़ितों को कोई राहत नही दे पायी और बल्कि वैसे ही हुआ जैसे शनिवार के भूकम्प आने के बाद रविवार को भी तिब्र झटका आया और बची खुची इमारतें और मलवे में दबे लोगो को निकलने के सभी प्रयासों पर पानी फिर गया और समूचा नेपाल के साथ भारत करूँन क्रंदन कर रहा है . बेबस लाचार धार्मिक लोग अपने अपने पूज्य को याद कर रहे है कोई जलजले से बचने के कलमा पढ़ रहा है और पढ़ने कि हिदायत दे रहा है और पर्यावरणविद्द पर्यावरणीय नुकसान जो मानवो द्वारा किये जा रहे है, जिनको रोक तो नही परन्तु कम किया जा सकता है का रोना रो रहे है .समाचारो में दो हज़ार लोगो के हताहत होने की सुचना दी जा रही जो मेरे अनुमान से कुल ५ से ८ हज़ार तक पहुंचेगी . आज तो हमें चारो तरफ मन के अंदर- बाहर नेपाल, बिहार उत्तरप्रदेश पशिमबंगल सभी जगह क्रंदन ही क्रंदन सुनाई दे रहा है, सावन का अँधा हो गया हूँ मैं- वीभत्स त्रासदी का अँधा हो गया हूँ मैं- भूकम्प का अँधा हो गया हूँ मैं !!! .

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